कमलप्रीत कौर की सफलता की कहानी

हमारे बच्चों को कमलप्रीत की कहानी जरूर पता होनी चाहिए। यदि सही जगह पर हम अपना टैलेंट उपयोग करें तो सफलता के शिखर पर पहुंचा जा सकता है। हर उस चीज को प्राप्त किया जा सकता है जिसके हम हकदार हैं।

कमलप्रीत का 8वी का रिजल्ट आ गया था, उसे कोई उम्मीद नही थी…और हुआ भी वैसे ही….अंग्रेजी और गणित में 33 नम्बर आये थे, बाकी विषयों में भी हाल ज्यादा अच्छा नही था।

कमलप्रीत का शरीर बचपन से ही भारी भरकम था। 8वी क्लास में ही 5 फुट 9 इंच की लंबाई थी। कोई harmonal imbalance था। genetics था या bad life style…. पता नही पता बस ये था कि पढ़ाई में डब्बा गोल है, शरीर की वजह से मजाक का पात्र बन गयी थी, कोई मोटो बोलता था तो कोई भैंस बोलता था। माँ बाप परेशान थे, कि लड़की ना तो नौकरी लायक है और ना शादी लायक, पता नही क्या ही होगा इसका।

Learn Spoken English Easily

दसवीं के रिजल्ट आये……वो 33 वाले नम्बर अब 35 36 हो गए…..बस इतना ही फर्क पड़ा….. बाकी वही पुरानी कहानी। कमलप्रीत अब depression महसूस करने लगी थी…..इस समस्या से निकलने का कोई उपाय भी तो नही था।

गांव के कुछ लोगों ने, और स्पोर्ट्स टीचर ने बोला कि शरीर भारी है, इसलिए दूसरे खेल तो नही खेल सकते, लेकिन shot put जरूर खेल सकती हो।

कमलप्रीत के पिता किसान थे, पैसे की समस्या भी थी, साथ ही लड़की पढ़ने लिखने में बेकार, शरीर से भी भारी….ऐसे में शादी करना भी अपने आप मे युद्ध सरीखा था। कमलप्रीत को लगा कि शायद शादी से बचने का तरीका sports हो सकता है, कुछ बड़े लोगो ने समझाया कि हो सकता है खेल में सही निकल जाओ तो नौकरी भी लग जाये।

कमलप्रीत ने शॉट put खेलना शुरू किया, और शुरू में एकदम शौकिया ही थी…..धीरे धीरे track पर आने लगी और फिर पंजाब में 4th रैंक पर भी आई। लेकिन अब आगे भी बढ़ना था, कमलप्रीत SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के ट्रेनिंग सेंटर में गयी, ताकि टेक्निकल ट्रेनिंग भी ले सके…….वहां के कोच ने कहा कि तुम्हे discuss throw ज्यादा suit करेगा….कमलप्रीत शादी से बचने और नौकरी पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।

SAI के सेंटर भेजने के लिए पिता तैयार थे, लेकिन मां नही मान रही थी, उन्हें लग रहा था ये लड़की होस्टल में कैसे रहेगी, क्या खाएगी, कैसे अपना ध्यान रखेगी….

लेकिन समस्या एक और आ गयी, कमलप्रीत को ट्रेनिंग तो मिल रही थी, लेकिन SAI के होस्टल में जगह नही मिली। उसे दशमेश गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल के होस्टल में रहना पड़ा, जहां से उसने 11वी और 12वी की पढ़ाई की।

SAI के होस्टल में सुविधाए ज्यादा थी, Diet का भी ध्यान रखा जाता था, कोच और खेलने की सुविधाएं भी उपलब्ध थी। लेकिन कमलप्रीत ने इस चुनौती को भी सर आंखों पर लिया….अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग को साथ साथ चलाया, अकेले रही, स्कूल के हॉस्टल की कच्ची पक्की रोटियां खाई….और किसी तरह गिर पड़ कर 12 वी पास भी कर ली।

सुबह 4 बजे उठना, तैयार हो कर SAI जाना, ट्रेनिंग करना, फिर स्कूल में पढ़ाई करना, शाम को फिर से ट्रैनिंग के लिए जाना…..ये 16-17 साल की लड़की के लिए आसान काम तो नही था।

2013 में बंगलोर में हुए नेशनल में कमलप्रीत ने bronze मैडल जीता, और उसके बाद उसकी जिंदगी बदल गयी…..कमलप्रीत बताती है कि जब उसे bronze मैडल मिला, तो काफी सारे बच्चे और लोग उसके पास selfie लेने के लिए आये…..ये देख वो हैरान थी….कि एक पढने लिखने में बेकार, शरीर से थुलथुल लड़की के साथ लोग सेल्फी भी ले सकते हैं…..इस घटना से उसे motivation मिला, कि अब और अच्छा करना है, और आगे खेलना है…अब देश के लिए खेलना है।

बस उस दिन से कमलप्रीत ने इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया, diet पर भी ध्यान देना शुरू किया, बंगलोर में जीते मैडल की बदौलत अब SAI होस्टल में जगह भी मिल गयी थी, ट्रेनिंग की सुविधा भी बेहतर ही गयी थी। फिर कमल अंडर 18 और अंडर 20 की नेशनल चैंपियन भी बनी।

फिर 2017 में कमलप्रीत ने under 20 का नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा, जो 16 साल पहले 2001 में बना था। इस प्रदर्शन की वजह से कमल को World University गेम्स taiwan जाने का मौका मिला। 2017 में, ये उसकी पहले अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी, जहां उसे 6th रैंक मिली।

2017 में ही कमलप्रीत ने खेल की बदौलत रेलवे में नौकरी हासिल की, 21000 की सैलरी थी, और ये उस लड़की को मिली जो 5-6 साल पहले नकारा मानी जा रही थी। लेकिन अभी भी ट्रैनिंग, diet, कपड़े, जूते जैसे समान खरीदने में दिक्कत आ जाती थी।

लेकिन स्थिति में बदलाव आया जब 2019 में बंगलोर की Go Sports Foundation ने कमलप्रीत को स्पांसर करना शुरू किया। ये संस्था अभिनव बिंद्रा, राहुल द्रविड़ और पुलेला गोपीचंद की है, जो उभरते हुए खिलाड़ियों को Support करती है।

अब कमलप्रीत की diet, training, खाना पीना, कपड़े, जूते का खर्च ये संस्था उठा रही थी, और लक्ष्य था ओलिंपिक. उसी साल 2019 के फेडरेशन कप में गोल्ड मैडल जीता।

Go sports के प्रोफेशनल्स ने कमलप्रीत को मानसिक तौर पर मजबूत बनाया, क्योंकि ये कमी उसमे थी. एक वाक्या था Federation Cup का , जहां कमलप्रीत ने पहली ही बार मे 65 मीटर throw किया और नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा, साथ ही 65 मीटर से ज्यादा दूर discuss throw करने वाली भारत की पहली महिला बनी…… जिसकी वजह से वो over excited हो गयी, और खुशी खुशी में अगले सारे throw foul कर दिए।

Go Sports ने emotional and mental कंट्रोल की ट्रेनिंग दी, और फिर मार्च 2021 में कमलप्रीत ने Indian Grand prix में 66.59 मीटर का नया रिकॉर्ड बनाया और दुनिया मे 6th रैंक पर पहुच गयी।

इस प्रदर्शन की वजह से ओलिंपिक में जगह मिली, और वहां भी क्या जबरदस्त प्रदर्शन किया कमल ने। 64 मीटर throw किया, और सीधे फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाले 2 athelete में से एक कमलप्रीत भी थी।

पिछली बार की ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट Sandra percovic 63.75 मीटर थ्रो कर पाई…..इसी से समझिए कमलप्रीत ने कितना बड़ा कारनामा किया है।

आज हमारे  लिए वो एक winner है। जो लड़की सिर्फ 10 साल पहले असफलता से जूझ रही थी, जिसके सामने कोई रास्ता ही नही था, शादी कोई करता नहीं, नौकरी कोई देता नहीं….उसने कड़ी मेहनत से मात्र 25 साल की उम्र में ये कारनामे कर दिए हैं।

10 साल पहले कमलप्रीत अकेली थी। 

लेकिन आज उसे हर कोई जानता है। टोक्यो ओलंपिक में छठे स्थान पर रहने पर भी हमें उस पर गर्व है।

Share & Help Others
error6
fb-share-icon100
Tweet 20
fb-share-icon20
Story Of Mirabai Chanu मीराबाई चानू की कहानी
General Question Answer Spoken English

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *