
संकल्प-भाग्य को भी झुका देता है
बात 700 ईस्वी पूर्व की है। गांधार राज्य के शलातुर गांव, जहाँ से काबुल नदी निकलती है, के एक गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पड़ रहे थे और एक विद्यार्थी अपने गुरुजी से जो कि एक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य थे उनकी हर भविष्यवाणी ईश्वर की वाणी होती थी, सदैव सभी सच होती थी उनसे मार खा रहा था। हाथ में बेत या छड़ी मारते मारते गुरु जी का हाथ अचानक रुक जाता है। शिष्य आश्चर्य से पूछता है। गुरुजी आप मुझे पढ़ाई में कमजोर होने के कारण रोज 5 बेत मारते थे। आज 3 ही मारी ऐसा क्यो? उन्होंने कहा, बेटा मेरी नजर तुम्हारे हाथ पर गयी, जिसमें मैनें देखा कि तुम्हारे हाथ में शिक्षा की लकीर नही है। पाणिनी और शिक्षा की रेखा-पाणिनी-अष्टाध्यायी-8 अध्याय व 4000 सूत्र है. पाणिनी-अष्टाध्यायी-8 अध्याय व 4000 सूत्र

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तुम अशिक्षित रहोगे। तुम्हारे भाग्य में शिक्षा नही है। यह सुनकर वह विद्यार्थी कुछ चिंतित हुआ। क्योंकि अपने गुरु के ज्योतिष ज्ञान से पूरे गांधार राज्य के साथ वो बालक भी परिचित था, पर बालक किसी और मिट्टी का बना था। वो गुरुकुल से जल्दी घर आता है और अपने भगवान को लगभग ललकारते हुए कहता है। यह आपने क्या किया। मेरे हाथ में शिक्षा की लकीर नही दी। पर मैं भी आपका सच्चा भक्त हूं, आपकी गलती मैं सुधारूँगा और वो एक नुकीला पत्थर लेता है और अपने सीधे हाथ पर उससे एक लकीर खींच लेता है। जिससे उस बालक के हाथ से खून बहने लगता है। पर वो दर्द से कराहने की बजाय अपने ईश्वर की प्रतिमा की तरफ मुस्कुराकर कहता है, आपकी गलती सुधार दी मैनें और बना दी शिक्षा की लकीर। पाणिनी-अष्टाध्यायी-8 अध्याय व 4000 सूत्र
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अगले दिन वो गुरुकुल जाकर अपने गुरुजी को अपना घाव जिसमे खून अब सुख चुका है दिखा कर कहता है देखिए गुरुजी बन गयी शिक्षा की रेखा। गुरुजी कहते है वत्स तुम्हारा साहस सराहना योग्य है पर तुम्हारे भाग्य में शिक्षा नही है। अब वो बालक बिना कुछ बोले घर आता है और उसी दिन से एक संकल्प के साथ पढ़ने बैठता है।
पाणिनी-अष्टाध्यायी-8 अध्याय व 4000 सूत्र है
अब आप उत्सुक होंगे यह जानने के लिए कि आखिर वो बालक था कौन?
तो सुनिए वो बालक महान व्याकरण आचार्य पाणिनी थे जिन्होंने अष्टाध्यायी लिखा, जिसमे 8 अध्याय व 4000 सूत्र है। पाणिनी अपने समय के अद्भुत विद्वान थे। उन्होंने संस्कृत व्याकरण लिख कर संस्कृत को जन सुलभ या हम सब के लिए आसान बनाया।
कुछ वर्षों बाद वो गुरुजी गुरुकुल वाले पाणिनी से मिले। पाणिनी का ज्ञान, तेज और ख्याति अब गुरुजी से कही ज्यादा थी तो गुरुजी ने उन्हें प्रणाम किया व बोला कि मेरी भविष्यवाणी तुम्हारे मजबूत संकल्प से गलत हुई है। जिसके आगे भाग्य को भी झुकना पड़ता है। पाणिनी के हाथ में वो लकीर या घाव जीवन भर रहा जो उन्हें शक्ति देता रहा। वे उस घाव को देखते व ऊर्जा से भर जाते। पाणिनी-अष्टाध्यायी-8 अध्याय व 4000 सूत्र
शिक्षा- जहाँ संकल्प मजबूत होता है वहाँ हर रेखा अपने आप बन जाती है।
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It’s really Amazing, A person can get everything with his strong will power, this is the lesson taught above.
Thanks a lot dear
Sankalp, Jivan ko nai disha deta hain. Thank You Sir.
Thanks a lot dear