Category: The Geeta Gyan

The Geeta Lesson 18

The Geeta Lesson 18 अध्याय : 18 उपसंहार – सन्यास की सिद्धि   यज्ञदानतपःकर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत्‌। यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम्‌॥ श्लोक 5 यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्याग. read more…

The Geeta Lesson 17

The Geeta Lesson 17 अध्याय : 17 श्रद्धा के विभाग  सत्त्वानुरूपा सर्वस्य श्रद्धा भवति भारत। श्रद्धामयोऽयं पुरुषो यो यच्छ्रद्धः स एव सः॥ श्लोक 3 हे भारत! सभी मनुष्यों की श्रद्धा. read more…

The Geeta Lesson 15 to 16

The Geeta Lesson 15 to 16 अध्याय : 15 पुरूषोत्तम योग का व्यवहारिक ज्ञान निर्मानमोहा जितसङ्गदोषाअध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः। द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसञ्ज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्‌॥श्लोक 5 जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है,. read more…

The Geeta Lesson 13 to 14

The Geeta Lesson 13 to 14 अध्याय : 13 प्रकृति पुरुष चेतना का व्यवहारिक ज्ञान  इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते। एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥ श्लोक 1 श्री भगवान. read more…

The Geeta Lesson 9 to 12

The Geeta Lesson 9 to 12 अध्याय : 9 परम गुहा ज्ञान का व्यवहारिक ज्ञान  श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे। ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌॥ श्लोक 1 श्री भगवान बोले-. read more…

The Geeta Lesson 6 To 7

The Geeta Lesson 6 To 7 अध्याय : 6 ध्यानयोग का व्यवहारिक ज्ञान  उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्‌। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥ श्लोक 5 अपने द्वारा अपना संसार-समुद्र से उद्धार करे और अपने. read more…

The Geeta Lesson 4 to 5

The Geeta Lesson 4 to 5 अध्याय 4 : दिव्यज्ञान का व्यवहारिक ज्ञान निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः। शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्‌॥ श्लोक 21 जिसका अंतःकरण और इन्द्रियों सहित शरीर जीता हुआ. read more…

The Geeta Lesson 03

The Geeta Lesson 03 अध्याय 3 : कर्म योग का व्यवहारिक ज्ञान (The Geeta Lesson 03) न कर्मणामनारंभान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते। न च सन्न्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति॥ श्लोक 4 मनुष्य न तो कर्मों. read more…

The Geeta Lesson 02

The Geeta Lesson 02 अध्याय : 2 गीता का सार का व्यवहारिक ज्ञान The Geeta Lesson 02 श्रीभगवानुवाच कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्‌। अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन। श्लोक 2  श्रीभगवान बोले- हे अर्जुन! तुझे. read more…

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