
हमारा जीवन बेहतर और खुशनुमा बन सकता है- Our lives can be better and happier
दुनिया में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलेगा जो सकारात्मक दृष्टिकोण के महत्व को नहीं जानता हो। मतलब, जानते तो हम सभी हैं, परेशानी बस इतनी है कि हम उसका उपयोग नहीं करते हैं। चलिए दो साधुओं की एक छोटी कहानी के माध्यम से हम यह सीखने का प्रयास करते हैं कि हमारे दृष्टिकोण में किस जगह पर परिवर्तन करने की आवश्यकता है, जिससे कि हमारा जीवन बेहतर और खुशनुमा बन सकता है। How To Handle Life Situations

शहर की सीमा के बाहर एक बहुत ही सुंदर मंदिर था और आसपास साधुओं की कुछ झोपड़ियां बनी हुई थी। साधु उस मंदिर में ही पूजा करते थे। उस मंदिर में बहुत से लोग आते थे और साधुओंं को भी बहुत कुछ खाने को मिल जाता था। 1 दिन दो साधु शहर के मंदिरों को देखने गए। उस दिन बहुत तेज बारिश हुई और आंधी तूफान भी आया।
जब वे दोनों साधु शाम को भीगते हुए अपनी झोपड़ियों की ओर लौटे तो उन्होंने देखा कि उनकी झोपड़ियां आंधी तूफान के कारण आधी टूट गई है।
यह देखकर पहला साधू गुस्सा हो कर मन ही मन कहने लगता है- भगवान तुम मेरे साथ हमेशा ही गलत करते हो। मैं दिन भर तुम्हारा नाम लेता हूँ। मंदिर में तुम्हारी पूजा करता हूँ। फिर भी तुमने मेरी झोपडी तोड़ दी। गाँव में चोर, लुटेरे, झूठे लोगो के मकानों को तो कुछ नहीं हुआ। बस हम साधुओं की झोपडी ही तुमने तोड़ी। हम तुम्हारा नाम जपते हैं। किंतु तुम हमसे प्रेम नहीं करते। How To Handle Life Situations
तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है। वह नाचने लगता है और कहता है- भगवान् आज विश्वास हो गया कि तू हमसे कितना प्रेम करता है। यह हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी, तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती। यह तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सिर ढंकने को जगह है। कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा। मेरा तुझ पर विश्वास अब और भी बढ़ गया है।
अब उन दोनों साधुओं के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करो। एक जैसी परिस्थिति दोनों के साथ है। दोनों की ही झोपड़ी टूट गई है किंतु एक भगवान पर गुस्सा कर रहा है, जबकि दूसरा उन्हें धन्यवाद दे रहा है। उनमें और ज्यादा विश्वास प्रकट कर रहा है। How To Handle Life Situations
यदि हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो हम बहुत जल्दी किसी भी समस्या से उबर सकते हैं। वहीं पर यदि हमारा दृष्टिकोण नकारात्मक है तो हम दु:खी होकर उसी स्थिति में बने रहेंगे। आप स्वयं ही सोच कर देखो कि उन दोनों साधुओं में से कौन जल्दी अपनी झोपड़ी को ठीक करेगा। यदि हम पहले साधू की तरह सोचेंगे तो हमें हर चीज में कुछ कमी नजर आएगी और वह हमारे दु:ख को बढ़ाएगी। किंतु यदि हम दूसरे साधू की तरह सोचेंगे तो हमें हर चीज में अच्छाई नजर आएगी। और हम बहुत जल्दी अपनी विकट परिस्थिति से भी निपट सकेंगे। How To Handle Life Situations
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