Mirabai Chanu Silver Winner

ऐसी कहानियों को एनसीईआरटी को कोर्स में शामिल करना चाहिए। Story Of Mirabai Chanu

*जब राष्ट्रपति ने खाया एक गरीब भारतीय लड़की का झूठा चावल* Best Online Spoken English Course

मीराबाई चानू (Saikhom Mirabai Chanu) की कहानी है यह। Genius Child’s Happiness Course Online

उस समय उसकी उम्र 10 साल थी। इम्फाल से 200 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में गरीब परिवार में जन्मी और छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीराबाई चानू अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थीं। 

एक दिन उसका भाई लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा लिया और वह उसे लगभग 2 किमी दूर अपने घर तक ले आई। 

शाम को पड़ोस के घर मीराबाई चानू टीवी देखने गई, तो वहां जंगल से उसके गठ्ठर लाने की चर्चा चल पड़ी। उसकी मां बोली, ”बेटी आज यदि हमारे पास बैल गाड़ी होती तो तूझे गठ्ठर उठाकर न लाना पड़ता।”

 *”बैलगाड़ी कितने रूपए की आती है माँं ?”* मीराबाई ने पूछा

”इतने पैसों की जितने हम कभी जिंदगीभर देख न पाएंगे।”

”मगर क्यों नहीं देख पाएंगे, क्या पैसा कमाया नहीं जा सकता ? कोई तो तरीका होगा बैलगाड़ी खरीदने के लिए पैसा कमाने का ?” चानू ने पूछा तो तब गांव के एक व्यक्ति ने कहा, ”तू तो लड़कों से भी अधिक वजन उठा लेती है, यदि वजन उठाने वाली खिलाड़ी बन जाए तो एक दिन जरूर भारी—भारी वजन उठाकर खेल में सोना जीतकर उस मैडल को बेचकर बैलग़ाड़ी खरीद सकती है।”

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 *”अच्छी बात है मैं सोना जीतकर उसे बेचकर बैलगाड़ी खरीदूंगी।”* उसमें आत्मविश्वास था। 

उसने वजन उठाने वाले खेल के बारे में जानकारी हासिल की, लेकिन उसके गांव में वेटलिफ्टिंग सेंटर नहीं था, इसलिए उसने रोज़ ट्रेन से *60 किलोमीटर* का सफर तय करने की सोची। 

शुरुआत उन्होंने इंफाल के खुमन लंपक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से की। Best Online Spoken English Course

एक दिन उसकी रेल लेट हो गयी.. रात का समय हो गया। शहर में उसका कोई ठिकाना न था, कोई उसे जानता भी न था। उसने सोचा कि किसी मन्दिर में शरण ले लेगी और कल अभ्यास करके फिर अगले दिन शाम को गांव चली जाएगी। 

एक अधूरा निर्माण हुआ भवन उसने देखा जिस पर आर्य समाज मन्दिर लिखा हुआ था। वह उसमें चली गई। वहां उसे एक पुरोहित मिला, जिसे उसने बाबा कहकर पुकारा और रात को शरण मांगी। 

”बेटी मैं आपको शरण नहीं दे सकता, यह मन्दिर है और यहां एक ही कमरे पर छत है, जिसमें मैं सोता हूँ । दूसरे कमरे पर छत अभी डली नहीं, एंगल पड़ गई हैं, पत्थर की सिल्लियां आई पड़ी हैं लेकिन पैसे खत्म हो गए। तुम कहीं और शरण ले लो।”

”मैं रात में कहाँ जाउँगी बाबा,” मीराबाई आगे बोली, ”मुझे बिन छत के कमरे में ही रहने की इजाजत दे दो।”

”अच्छी बात है, जैसी तेरी मर्जी।” बाबा ने कहा। Story Of Mirabai Chanu Genius Child’s Happiness Course Online

वह उस कमरे में माटी एकसार करके उसके उपर ही सो गई, अभी कमरे में फर्श तो डला नहीं था। जब छत नहीं थी तो फर्श कहां से होता भला। लेकिन रात के समय बूंदाबांदी शुरू हो गई और उसकी आंख खुल गई। 

मीराबाई ने छत की ओर देखा। दीवारों पर उपर लोहे की एंगल लगी हुई थी, लेकिन सिल्लियां तो नीचे थी। आधा अधूरा जीना भी बना हुआ था। उसने नीचे से पत्थर की सिल्लिया उठाई और उपर एंगल पर जाकर रख ​दी और फिर थोड़ी ही देर में दर्जनों सिल्लियां कक्ष की दीवारों के उपर लगी एंगल पर रखते हुए कमरे को छाप दिया। 

उसके बाद वहां एक बरसाती पन्नी पड़ी थी वह सिल्लियों पर डालकर नीचे से फावड़ा और तसला उठाकर मिट्टी भर—भरकर उपर छत पर सिल्लियो पर डाल दी। इस प्रकार मीराबाई ने छत तैयार कर दी। 

बारिश तेज हो गई,और वह अपने कमरे में आ गई। अब उसे भीगने का डर न था, क्योंकि उसने उस *कमरे की छत खुद ही बना डाली* थी। 

अगले दिन बाबा को जब सुबह पता चला कि मीराबाई ने कमरे की छत डाल दी तो उसे आश्चर्य हुआ और उसने उसे मन्दिर में हमेशा के लिए शरण दे दी, ताकि वह खेल की तैयारी वहीं रहकर कर सके, क्योंकि वहाँं से खुमन लंपक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निकट था। Best Online Spoken English Course

बाबा उसके लिए खुद चावल तैयार करके खिलाते और मीराबाई ने कक्षों को गाय के गोबर और पीली माटी से लिपकर सुन्दर बना दिया था। 

समय मिलने पर बाबा उसे एक किताब थमा देते,जिसे वह पढ़कर सुनाया करती और उस किताब से उसके अन्दर धर्म के प्रति आस्था तो जागी ही साथ ही देशभक्ति भी जाग उठी।

इसके बाद *मीराबाई चानू 11 साल की उम्र में अंडर-15 चैंपियन बन गई* और 17 साल की उम्र में जूनियर चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। 

लोहे की बार खरीदना परिवार के लिए भारी था। मानसिक रूप से परेशान हो उठी मीराबाई ने यह समस्या बाबा से बताई, तो बाबा बोले, ”बेटी चिंता न करो, शाम तक आओगी तो बार तैयार मिलेगा।”

वह शाम तक आई तो बाबा ने बांस की बार बनाकर तैयार कर दी, ताकि वह अभ्यास कर सके। 

बाबा ने उनकी भेंट कुंजुरानी से करवाई। उन दिनों मणिपुर की *महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी* स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं। 

इसके बाद तो मीराबाई ने कुंजुरानी को अपना आदर्श मान लिया और कुंजुरानी ने बाबा के आग्रह पर इसकी हर संभव सहायता करने का बीड़ा उठाया।

जिस कुंजुरानी को देखकर मीरा के मन में विश्व चैंपियन बनने का सपना जागा था, अपनी उसी आइडल के 12 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को मीरा ने 2016 में तोड़ा, वह भी 192 किलोग्राम वज़न उठाकर।

2017 में विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप, अनाहाइम, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में उसे भाग लेने का अवसर मिला। 

मुकाबले से पहले एक सहभोज में उसे भाग लेना पड़ा। सहभोज में अमेरिकी राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। Genius Child’s Happiness Course Online

राष्ट्रपति ने देखा कि मीराबाई को उसके सामने ही पुराने बर्तनों में चावल परोसा गया, जबकि सब होटल के शानदार बर्तनों में शाही भोजन का लुत्फ ले रहे थे। 

राष्ट्रपति ने प्रश्न किया, ”इस खिलाड़ी को पुराने बर्तनों में चावल क्यों परोसा गया, क्या हमारा देश इतना गरीब है कि एक लड़की के लिए बर्तन कम पड़ गए, या फिर इससे भेदभाव किया जा रहा है, यह अछूत है क्या ?” Story Of Mirabai Chanu

”नहीं महामहिम ऐसी बात नहीं है,” उसे खाना परोस रहे लोगों से जवाब मिला, ” इसका नाम मीराबाई है। यह जिस भी देश में जाती है, वहाँं अपने देश भारत के चावल ले जाती है। यह विदेश में जहाँ भी होती है, भारत के ही चावल उबालकर खाती है। यहाँ भी ये चावल खुद ही अपने कमरे से उबालकर लाई है ।”

”ऐसा क्यों ?” राष्ट्रपति ने मीराबाई की ओर देखते हुए उससे पूछा।

”महामहिम, मेरे देश का अन्न खाने के लिए देवता भी तरसते हैं, इसलिए मैं अपने ही देश का अन्न खाती हूँ।”

”ओह् बहुत देशभक्त हो तुम, जिस गांव में तुम्हारा जन्म हुआ, भारत में जाकर उस गांव के एकबार अवश्य दर्शन करूंगा।” राष्ट्रपति बोले।

”महामहिम इसके लिए मेरे गांव में जाने की क्या जरूरत है ?”

”क्यों ?”

”मेरा मेरा *गांव* मेरे साथ है, मैं उसके दर्शन यहीं करा देती हूँं।”

”अच्छा कराइए दर्शन!” कहते हुए उस मूर्ख लड़की की बात पर हंस पड़े राष्ट्रपति।

मीराबाई अपने साथ हैंडबैग लिए हुए थी,उसने उसमें से एक पोटली खोली, फिर उसे पहले खुद माथे से लगाया फिर राष्ट्रपति की ओर करते हुए बोली, ” *यह रहा मेरा पावन गांव और महान देश।”* 

”यह क्या है?” राष्ट्रपति पोटली देखते हुए बोले, ”इसमें तो मिट्टी है ?”

”हाँ यह मेरे *गांव की पावन मिट्टी* है, इसमें मेरे देश के *देशभक्तों का लहू* मिला हुआ, सरदार भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद का लहू इस मिट्टी में मिला हुआ है, इसलिए यह मिट्टी नहीं, मेरा सम्पूर्ण भारत हैं…”Best Online Spoken English Course

”ऐसी शिक्षा तुमने किस विश्वविद्यालय से पाई चानू ?”

”महामहिम ऐसी शिक्षा विश्वविद्यालय में नहीं दी जाती, विश्वविद्यालय में तो *मैकाले* की शिक्षा दी जाती है, *ऐसी शिक्षा तो गुरु के चरणों में मिलती है* , मुझे आर्य समाज में हवन करने वाले बाबा से यह शिक्षा मिली है, मैं उन्हें सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर सुनाती थी, उसी से ​मुझे देशभक्ति की प्रेरणा मिली।”

 *”सत्यार्थ प्रकाश ?”* Story Of Mirabai Chanu

”हाँं सत्यार्थ प्रकाश,” चानू ने अपने हैंडबैग से सत्यार्थ प्रकाश की प्रति निकाली और राष्ट्रपति को थमा दी, *”आप रख लीजिए मैं हवन करने वाले बाबा से और ले लूंगी।”* 

”कल गोल्डमैडल तुम्हीं जितोगी,” राष्ट्रपति आगे बोले, ” *मैंने पढ़ा है कि तुम्हारे भगवान हनुमानजी ने पहाड़ हाथों पर उठा लिया था,* लेकिन कल यदि तुम्हारे मुकाबले हनुमानजी भी आ जाएं तो भी तुम ही जितोगी…तुम्हारा भगवान भी हार जाएगा, तुम्हारे सामने कल।” 

राष्ट्रपति ने वह किताब एक अधिकारी को देते फिर आदेश दिया, ” *इस किताब को अनुसंधान के लिए भेज दो कि इसमें क्या है, जिसे पढ़ने के बाद इस लड़की में इतनी देशभक्ति उबाल मारने लगी कि अपनी ही धरती के चावल लाकर हमारे सबसे बड़े होटल में उबालकर खाने लगी।”* 

चानू चावल खा चुकी थी, उसमें एक चावल कहीं लगा रह गया, तो *राष्ट्रपति ने उसकी प्लेट से वह चावल का दाना उठाया और मुँह में डालकर उठकर चलते बने।* 

” *बस मुख से यही निकला, ”यकीनन कल का गोल्ड मैडल यही लड़की जितेगी, देवभूमि का अन्न खाती है यह।”* 

और *अगले दिन मीराबाई ने स्वर्ण पदक जीत ही लिया* , लेकिन किसी को इस पर आश्चर्य नहीं था, सिवाय भारत की जनता के… 

अमेरिका तो पहले ही जान चुका था कि वह जीतेगी,बीबीसी जीतने से पहले ही लीड़ खबर बना चुका था ।

जीतते ही बीबीसी पाठकों के सामने था, जबकि भारतीय मीडिया अभी तक लीड खबर आने का इंतजार कर रही थी।

इसके बाद  चानू ने 196 किग्रा, जिसमे 86 kg स्नैच में तथा 110 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क में था, का वजन उठाकर भारत को 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। 

 *इसके साथ ही उन्होंने 48 किग्रा श्रेणी का राष्ट्रमण्डल खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।* Genius Child’s Happiness Course Online

2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीतने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ₹15 लाख की नकद धनराशि देने की घोषणा की। 

 *2018 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।* 

यह पुरस्कार मिलने पर मीराबाई ने सबसे पहले अपने घर के लिए एक बैलगाड़ी खरीदी और बाबा के मन्दिर को पक्का करने के लिए एक लाख रुपए उन्हें गुरु दक्षिणा में दिए।

‘वेद वृक्ष की छांव तले पुस्तक का एक अंश, 

जय श्री राम🙏🏻 Story Of Mirabai Chanu

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प्रमुख लेखक पुस्तक Famous Books
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