4. वैदिक सभ्यता (Vedic Period वैदिक सभ्यता)

वैदिककाल का विभाजन दो भागों में किया गया है।

1. ऋग्वैदिक काल-1500-1000 ईसा पूर्व और 

2. उत्तर वैदिककाल-1000-600 ईसा पूर्व

आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे । 

मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया को माना है। 

आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई।

आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी।

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आर्यों की भाषा संस्कृत थी।

आर्यों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बँटा था—

कुल,  (मुखिया कुलप कहा जाता था)

ग्राम,  (ग्राम के मुखिया ग्रामिणी,)

विश्,  (विश् का प्रधान विशपति)

जन,   (जन के शासक राजन कहलाते थे।)

राष्ट्र। 

राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे । Vedic Period वैदिक सभ्यता

वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं  विश्वामित्र उदार पुरोहित थे।

सूत, रथकार तथा कम्मादि नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे। इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हुआ करती थी।

दिशा    उत्तरवैविक शब्द    राजा का नाम

पूर्व         प्राची         सम्राट्

पश्चिम     प्रतीची        स्वराष्ट्र

उत्तर      उदीची        विराट्

मध्य                        राजा

दक्षिण                     भोज

पुरप-दुर्गपति एवं स्पश–जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे।

वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था।

उग्र अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था।

नोट : ऋग्वेद में किसी तरह के न्यायाधिकारी का उल्लेख नहीं है।

सभा एवं समिति राजा को सलाह देने वाली संस्था थी। सभा श्रेष्ठ एवं संभ्रांत लोगों की संस्था थी जबकि समिति सामान्य जनता का

प्रतिनिधित्व करती थी। इसके अध्यक्ष को ईशान कहा जाता था।

स्त्रियाँ सभा एवं समितियों में भाग ले सकती थीं।

युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था। युद्ध के लिए गविष्टि शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है-गायों की खोज।

दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के 7वें मंडल में है, यह युद्ध परुषणी (रावी) नदी के तट पर सुदास एवं दस जनों के बीच लड़ा गया, जिसमें सुदास विजयी हुआ।

ऋग्वैदिक समाज चार वर्गों में विभक्त था । ये वर्ण थे-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । यह विभाजन व्यवसाय पर आधारित

था। ऋग्वेद के 10वें मंडल के पुरुषसूक्त में चतुर्वर्णों का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण परम पुरुष के मुख से,

क्षत्रिय उनकी भुजाओं से, वैश्य उनकी जाँघों से एवं शूद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए हैं। Vedic Period वैदिक सभ्यता

ब्राह्मण – मुख

क्षत्रिय – भुजाओं

वैश्य – जंघाओं

शूद्र – चरणों

उपनिषदों की कुल संख्या है- 108

महापुराणों की संख्या है- 18

वेदांग की संख्या है-   6

आर्यों का समाज पितृप्रधान था। 

समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी, जिसका मुखिया पिता होता था, जिसे कुलप कहा जाता था।

स्त्रियाँ इस काल में अपने पति के साथ यज्ञ कार्य में भाग लेती थीं।

बाल-विवाह एवं पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था।

विधवा अपने मृतक पति के छोटे भाई (देवर) से विवाह कर सकती थी।

स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण करती थीं। ऋग्वेद में लोपामुद्रा, घोषा, सिकता, आपला एवं विश्वास जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन है। गार्गी ने याज्ञवल्क्य को वाद विवाद की चुनौती दी थी।

जीवन भर अविवाहित रहनेवाली महिलाओं को अमाजू कहा जाता था।

आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था । यह वनस्पति से बनाया जाता था। Vedic Period वैदिक सभ्यता

आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे—

1. वास

2. अधिवास और 

3. उष्णीष । 

अन्दर पहननेवाले कपड़े को नीवि कहा जाता था।

प्रमुख दर्शन एवं उसके प्रवर्तक

दर्शन     प्रवर्तक 

चार्वाक    चार्वाक 

पूर्वमीमांसा जैमिनी

उत्तरमीमांसा बादरायण

योग        पतञ्जलि 

सांख्य     कपिल

वैशेषिक  कणाद या उलूक

न्याय      गौतम

आर्यों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे—संगीत, रथदौड़, घुड़दौड़ एवं द्यूतक्रीड़ा।

आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं कृषि था।

गाय को अघन्या—न मारे जाने योग्य पशु की श्रेणी में रखा गया था। गाय की हत्या करने वाले या उसे घायल करने वाले के लिए वेदों में मृत्युदंड अथवा देश से निकाले की व्यवस्था की गई है।

आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा एवं 

सर्वाधिक प्रिय देवता इन्द्र थे।

उत्तरवैदिक काल में इन्द्र के स्थान पर प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता हो गये थे।

आर्यों द्वारा खोजी गयी धातु लोहा थी जिसे श्याम अयस् कहा जाता था। 

ताँबे को लोहित अयस् कहा जाता था।

व्यापार हेतु दूर दूर तक जानेवाला व्यक्ति को पणि कहते थे।

लेन देन में वस्तु-विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी।

ऋण देकर ब्याज लेने वाला व्यक्ति को वेकनॉट (सूदखोर) कहा जाता था।

मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाले देवता के रूप में अग्नि की पूजा की जाती थी।

ऋग्वेद में उल्लिखित सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी। ऋग्वेद में गंगा का एक बार और

यमुना का उल्लेख तीन बार हुआ है। इसमें सिन्धु नदी का उल्लेख सर्वाधिक बार हुआ है। Vedic Period वैदिक सभ्यता

ऋग्वैदिककालीन नदियाँ

प्राचीन नाम     आधुनिक नाम

क्रुभ             कुर्रम

विपाशा         व्यास

कुभा            काबुल

सदानीरा        गंडक

वितस्ता          झेलम 

दृसद्धती         घग्घर

आस्किनी       चिनाब 

गोमती           गोमल

परुषणी         रावी

सुवस्तु           स्वात्

शतुद्रि            सतलज

ऋग्वैदिककालीन देवता

देवता      संबंध

इन्द्र      युद्ध का नेता एवं वर्षा का देवता ।

अग्नि    देवता एवं मनुष्य के बीच मध्यस्थ ।

वरुण    पृथ्वी एवं सूर्य के निर्माता, समुद्र का देवता, विश्व के नियामक एवं शासक, सत्य का प्रतीक, ऋतु-परिवर्तन एवं

दिन-रात का कर्ता।

द्यौ       आकाश का देवता (सबसे प्राचीन)।

सोम     वनस्पति देवता।

उषा      प्रगति एवं उत्थान देवता।

आश्विन   विपत्तियों को हरनेवाले देवता।

पूषन      पशुओं का देवता।

विष्णु      विश्व के संरक्षक एवं पालनकर्ता।

मरुत       आँधी-तूफान का देवता । Vedic Period वैदिक सभ्यता

उत्तरवैदिक काल में राजा के राज्याभिषेक के समय राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया जाता था।

उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे।

उत्तरवैदिक काल में हल को सिरा और हल रेखा को सीता कहा जाता था।

उत्तरवैदिक काल में निष्क और शतमान मुद्रा की इकाइयाँ थीं, लेकिन इस काल में किसी खास भार, आकृति और मूल्य के

सिक्कों के चलन का कोई प्रमाण नहीं मिलता।

सांख्य दर्शन भारत के सभी दर्शनों में सबसे प्राचीन है। इसके अनुसार मूल तत्व पच्चीस हैं, जिनमें प्रकृति पहला तत्व है।

‘सत्यमेव जयते’ मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना टूटी नाव से की गयी है।

गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता को संबोधित है, जिसका संबंध ऋग्वेद से है। लोगों को आर्य बनाने के लिए विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की।

उत्तरवैदिक काल में कौशाम्बी नगर में प्रथम बार पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है।

महाकाव्य दो हैं- महाभारत एवं रामायण ।

‘महाभारत’ का पुराना नाम जयसंहिता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।

गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ।

नोट : वेदान्त दर्शन के मौलिक ग्रंथ ‘ब्रह्मसूत्र’ या ‘वेदान्त सूत्र’ की रचना बादरायण ने की थी।

Vedic Period वैदिक सभ्यता

  1. Indian Ancient History हड़प्पा / सिंधु सभ्यता
  2. Vaidik Sanskriti वैदिक संस्कृति
  3. Mahajanpad Period महाजनपद काल
  4. Religious Movement धार्मिक आंदोलन
  5. Maurya Period मौर्य काल
  6. After Maurya मौर्य-उत्तर / गुप्त-पूर्व काल
  7. Sangam Period संगम काल
  8. Gupta Period गुप्त काल
  9. Vardhan Dynasty वर्धन वंश
  10. Miscellaneous विविध प्राचीन भारत
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