ठान लिया तो सफल हो जाओगे- You will succeed if determined
दोस्तों आज की सुबह बहुत ही शानदार है जिसका उपयोग आप जीवन को बदलने के लिए कर सकते हो। यदि आप इस ब्लॉग को पढ़ रहे हो, इसका मतलब ही है कि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं। आपने ठान लिया है जीवन में सफल होने के लिए तो निश्चित रूप से आप सफलता की दौड़ में शामिल हो गए हो। और खास बात यह है कि इस दौड़ में हर व्यक्ति सफल होता है। कोई जल्दी तो कोई देर से। Who Was Real Pad Man
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चलिए देखते हैं एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसने कुछ करने की ठानी, संघर्ष किया और वो कर दिखाया जो उन्हें जीवन भर संतुष्टि देगा कि ईश्वर ने उन्हें बेकार नहीं बनाया था।
पैडमैन अरुणाचलम जिनके संघर्ष को अक्षय कुमार ने दिखाया है पैडमैन मूवी में। अरुणाचलम की 1998 में जब शादी हुई उनकी पत्नी एमसी के दौरान बेहद गंदे कपड़े इस्तेमाल करती थी। यह देखकर उन्हें शॉक लगा, वे अंदर तक हिल गए। उन्होंने देखा कि उनकी बहन और पत्नी इस समय को निकालने के लिए कबाड़ में से अखबार, गंदे कपड़े तलाश थी। वह इस बात का जिक्र भी किसी से नहीं करती थी। इसी समय अरुणाचलम को सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने का ख्याल आया। अरुणाचलम महिलाओं की इस monthly समस्या में एक बड़ा अवसर देख सके और बस यहीं से उनका संघर्ष शुरू हुआ। Who Was Real Pad Man
इस रिसर्च के दौरान वे इस्तेमाल किए हुए नैपकिन जमा करने लगे ताकि उन पर प्रयोग कर सके। लोग उन्हें पागल समझने लगे। कोई भी उनसे मिलना नहीं चाहता था। बात नहीं करना चाहता था। और गांव वाले उन पर भूत प्रेत का साया समझने लगे। वे उन्हें वैंपायर भी कहने लगे और उन्हें ठीक करने के लिए काला जादू करने का प्रयास करने लगे। किंतु स्थिति ज्यादा बिगड़े इससे पहले ही अरुणाचलम ने गांव छोड़ दिया। यह बात करीब 2004-05 की है। Who Was Real Pad Man
जब अरुणाचलम इस विषय पर काम कर रहे थे तो वे देशभर में घूम रहे थे। इस दौरान जब वे उत्तर प्रदेश गए तो उन्हें पता चला कि वहां एक गांव में, एक कुंवारी लड़की ने पेड इस्तेमाल किया था और जब वह रास्ते से जा रही थी तो उससे लोगों ने कहा कि यदि तुम पैड इस्तेमाल करोगी तो तुम्हें पागल कुत्ता काट लेगा। यही नहीं उसे यहां तक डराया गया कि यदि तुम्हारा उपयोग किया हुआ सेनेटरी पैड किसी कुत्ते ने खा लिया तो तुमसे कोई शादी नहीं करेगा। जब अरुणाचलम एमपी में आए तो उन्होंने पाया कि यहां पर हर महिला को पैड उपयोग करने पर उसकी सास के मर जाने का डर दिखाया जाता था। ऐसी अनेक घटनाएं देश भर में अरुणाचलम ने देखी और उनकी इच्छा मजबूत होती गई। Who Was Real Pad Man
जब वे प्रयोग कर रहे थे तो उन्हें अनेक लोग पागल समझते थे। इस दौरान लोगों ने यह शक भी किया कि अरुणाचलम पुरुष ही नहीं है। वे समझने लगे की अरुणाचलम एक महिला है। जब उन्होंने शुरू में पैड बनाएं तो उन्हें उपयोग के लिए मेडिकल कॉलेज की लड़कियों को दिए ताकि उनकी बातों से उन्हें मदद मिले। लेकिन हमारे समाज ने इस मुद्दे को इतना दबा कर रखा था कि उन्हें सही फीडबैक नहीं मिल पाता था। लेकिन वे डटे रहे, लगे रहे अपनी खोज में, बात इतनी बढ़ गई कि उनकी पत्नी भी शक करने लगी की पैड के बहाने वे अन्य महिलाओं के करीब जाना चाहते हैं। और उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई। लेकिन उन्होंने अपना मिशन नहीं छोड़ा। नौकरी करते रहे, साथ में यह प्रयोग भी जारी रखा। नाइट शिफ्ट होती तो दिन में अपने मिशन पर काम करते। अनेक राते अरुणाचलम ने बगैर सोए निकाल दी। अक्सर खाने के लिए भी नहीं रहता था। उनकी हालत एक भिखारी के समान हो गई थी। लोग उनका मजाक उड़ाते थे और उन्हें पागल कहते थे। Who Was Real Pad Man
आखिर में अरुणाचलम की साढे 8 साल की तपस्या रंग लाई और अरुणाचलम ऐसी मशीन बनाने में सफल हो गए जो सिर्फ एक रुपए का सेनेटरी नैपकिन बनाती है। अरुणाचलम कि यह मशीन श्रीलंका बांग्लादेश, नेपाल, भूटान जैसे देशों में भी इस्तेमाल हो रही है। अब वे एक सफल enterprenure है। पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं और उनके संघर्ष पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है।
तो माय डियर फ्रेंड्स अरुणाचलम की कहानी से हम कुछ खास बातें सीख सकते हैं।
1. समाज में हमारे आसपास किसी समस्या को ध्यान से देखो। यदि वह समस्या जीवन से गंभीर रूप से जुड़ी है तो आपको एक बड़ा अवसर मिल सकता है। पहचानो उस समस्या को, पहचानो उस अवसर को।
2. यदि लोग आपको पागल समझने लगे, आपके काम के दौरान उसमें रुकावटें डालें तो समझ जाना कि इस काम को पूरा करके आप बहुत से लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हो और आपके द्वारा लाया गया यह बदलाव ही आपको वह दिला देगा जिसके लिए लोग दिन-रात सपने देखते रहते हैं।
3. इस बात को समझो कि हर बड़ा बदलाव संघर्ष मांगता है, त्याग मांगता है और सबसे जरूरी समय मांगता है। यदि लगे रहोगे, डटे रहोगे, हिलने से, टूटने से इंकार कर दोगे तो फिर वह हो जाएगा जिसके लिए आपने संघर्ष शुरू किया था।
तो डियर फ्रेंड्स उम्मीद है कि यह सच्ची कहानी आपको कुछ सीखने का अवसर देगी। आपके जीवन को कुछ बेहतर बनाने में मददगार होगी। यदि किसी दोस्त की मदद करना चाहते हो तो उससे भी यह स्टोरी शेयर करो।
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I am Subhash joshi. हर एक पोस्ट के पीछे मेरा सबसे बड़ा मोटिव होता है अपने Readers की life में value add करना। मैंने badisuccess.com/ kyon shuru kiya ?
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ठान लिया तो सफल हो जाओगे- You will succeed if determined
दोस्तों आज की सुबह बहुत ही शानदार है जिसका उपयोग आप जीवन को बदलने के लिए कर सकते हो। यदि आप इस ब्लॉग को पढ़ रहे हो, इसका मतलब ही है कि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं। आपने ठान लिया है जीवन में सफल होने के लिए तो निश्चित रूप से आप सफलता की दौड़ में शामिल हो गए हो। और खास बात यह है कि इस दौड़ में हर व्यक्ति सफल होता है। कोई जल्दी तो कोई देर से। Who Was Real Pad Man
चलिए देखते हैं एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसने कुछ करने की ठानी, संघर्ष किया और वो कर दिखाया जो उन्हें जीवन भर संतुष्टि देगा कि ईश्वर ने उन्हें बेकार नहीं बनाया था।
पैडमैन अरुणाचलम जिनके संघर्ष को अक्षय कुमार ने दिखाया है पैडमैन मूवी में। अरुणाचलम की 1998 में जब शादी हुई उनकी पत्नी एमसी के दौरान बेहद गंदे कपड़े इस्तेमाल करती थी। यह देखकर उन्हें शॉक लगा, वे अंदर तक हिल गए। उन्होंने देखा कि उनकी बहन और पत्नी इस समय को निकालने के लिए कबाड़ में से अखबार, गंदे कपड़े तलाश थी। वह इस बात का जिक्र भी किसी से नहीं करती थी। इसी समय अरुणाचलम को सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने का ख्याल आया। अरुणाचलम महिलाओं की इस monthly समस्या में एक बड़ा अवसर देख सके और बस यहीं से उनका संघर्ष शुरू हुआ। Who Was Real Pad Man
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इस रिसर्च के दौरान वे इस्तेमाल किए हुए नैपकिन जमा करने लगे ताकि उन पर प्रयोग कर सके। लोग उन्हें पागल समझने लगे। कोई भी उनसे मिलना नहीं चाहता था। बात नहीं करना चाहता था। और गांव वाले उन पर भूत प्रेत का साया समझने लगे। वे उन्हें वैंपायर भी कहने लगे और उन्हें ठीक करने के लिए काला जादू करने का प्रयास करने लगे। किंतु स्थिति ज्यादा बिगड़े इससे पहले ही अरुणाचलम ने गांव छोड़ दिया। यह बात करीब 2004-05 की है। Who Was Real Pad Man
जब अरुणाचलम इस विषय पर काम कर रहे थे तो वे देशभर में घूम रहे थे। इस दौरान जब वे उत्तर प्रदेश गए तो उन्हें पता चला कि वहां एक गांव में, एक कुंवारी लड़की ने पेड इस्तेमाल किया था और जब वह रास्ते से जा रही थी तो उससे लोगों ने कहा कि यदि तुम पैड इस्तेमाल करोगी तो तुम्हें पागल कुत्ता काट लेगा। यही नहीं उसे यहां तक डराया गया कि यदि तुम्हारा उपयोग किया हुआ सेनेटरी पैड किसी कुत्ते ने खा लिया तो तुमसे कोई शादी नहीं करेगा। जब अरुणाचलम एमपी में आए तो उन्होंने पाया कि यहां पर हर महिला को पैड उपयोग करने पर उसकी सास के मर जाने का डर दिखाया जाता था। ऐसी अनेक घटनाएं देश भर में अरुणाचलम ने देखी और उनकी इच्छा मजबूत होती गई। Who Was Real Pad Man
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जब वे प्रयोग कर रहे थे तो उन्हें अनेक लोग पागल समझते थे। इस दौरान लोगों ने यह शक भी किया कि अरुणाचलम पुरुष ही नहीं है। वे समझने लगे की अरुणाचलम एक महिला है। जब उन्होंने शुरू में पैड बनाएं तो उन्हें उपयोग के लिए मेडिकल कॉलेज की लड़कियों को दिए ताकि उनकी बातों से उन्हें मदद मिले। लेकिन हमारे समाज ने इस मुद्दे को इतना दबा कर रखा था कि उन्हें सही फीडबैक नहीं मिल पाता था। लेकिन वे डटे रहे, लगे रहे अपनी खोज में, बात इतनी बढ़ गई कि उनकी पत्नी भी शक करने लगी की पैड के बहाने वे अन्य महिलाओं के करीब जाना चाहते हैं। और उनकी पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई। लेकिन उन्होंने अपना मिशन नहीं छोड़ा। नौकरी करते रहे, साथ में यह प्रयोग भी जारी रखा। नाइट शिफ्ट होती तो दिन में अपने मिशन पर काम करते। अनेक राते अरुणाचलम ने बगैर सोए निकाल दी। अक्सर खाने के लिए भी नहीं रहता था। उनकी हालत एक भिखारी के समान हो गई थी। लोग उनका मजाक उड़ाते थे और उन्हें पागल कहते थे। Who Was Real Pad Man
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आखिर में अरुणाचलम की साढे 8 साल की तपस्या रंग लाई और अरुणाचलम ऐसी मशीन बनाने में सफल हो गए जो सिर्फ एक रुपए का सेनेटरी नैपकिन बनाती है। अरुणाचलम कि यह मशीन श्रीलंका बांग्लादेश, नेपाल, भूटान जैसे देशों में भी इस्तेमाल हो रही है। अब वे एक सफल enterprenure है। पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं और उनके संघर्ष पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है।
तो माय डियर फ्रेंड्स अरुणाचलम की कहानी से हम कुछ खास बातें सीख सकते हैं।
1. समाज में हमारे आसपास किसी समस्या को ध्यान से देखो। यदि वह समस्या जीवन से गंभीर रूप से जुड़ी है तो आपको एक बड़ा अवसर मिल सकता है। पहचानो उस समस्या को, पहचानो उस अवसर को।
2. यदि लोग आपको पागल समझने लगे, आपके काम के दौरान उसमें रुकावटें डालें तो समझ जाना कि इस काम को पूरा करके आप बहुत से लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हो और आपके द्वारा लाया गया यह बदलाव ही आपको वह दिला देगा जिसके लिए लोग दिन-रात सपने देखते रहते हैं।
3. इस बात को समझो कि हर बड़ा बदलाव संघर्ष मांगता है, त्याग मांगता है और सबसे जरूरी समय मांगता है। यदि लगे रहोगे, डटे रहोगे, हिलने से, टूटने से इंकार कर दोगे तो फिर वह हो जाएगा जिसके लिए आपने संघर्ष शुरू किया था।
तो डियर फ्रेंड्स उम्मीद है कि यह सच्ची कहानी आपको कुछ सीखने का अवसर देगी। आपके जीवन को कुछ बेहतर बनाने में मददगार होगी। यदि किसी दोस्त की मदद करना चाहते हो तो उससे भी यह स्टोरी शेयर करो।
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subhash
I am Subhash joshi. हर एक पोस्ट के पीछे मेरा सबसे बड़ा मोटिव होता है अपने Readers की life में value add करना। मैंने badisuccess.com/ kyon shuru kiya ? किसी ने कहा है कि यदि खुद को बड़ा बनाना है, तो औरों को बड़ा बनाना शुरू करो। यदि खुद को मदद चाहिए तो औरों की मदद करना शुरू करो और बस यही आधार बना badisuccess.com/ को शुरू करने का। MY CONTACT NO. 9753978693